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Monday, 31 October 2022

हरिद्वार के दार्शनिक स्थल की जानकारी | Haridwar tourist places to visit in hindi

 

हरिद्वार के दार्शनिक स्थल की जानकारी | Haridwar tourist places to visit in hindi

हरिद्वार के दार्शनिक स्थल की जानकारी Haridwar tourist places to visit in hindi

हरिद्वार भारत देश का जाना माना तीर्थ स्थल है, मोक्ष प्राप्ति के लिए लोग यहाँ जाते है. हरिद्वार उत्तराखंड प्रदेश का एक जिला है, जो समुद्र तल से 314 मीटर ऊंचाई पर स्थित है. हरिद्वार से तात्पर्य यह है कि हरी मतलब भगवन विष्णु द्वारा मतलब दरवाजा, इसका अर्थ है भगवन विष्णु तक पहुँचने का रास्ता. हरिद्वार में पवित्र गंगा नदी बहती है. समुद्र मंथन के समय उज्जैन, नासिक, प्रयाग के साथ साथ हरिद्वार में भी अमृत गिरा था, जिसके बाद से हर 12 वें साल में यहाँ महाकुम्भ भरा जाता है. हरिद्वार भारत के सात पवित्र स्थल जिसे सप्तपुरी कहते है, उनमें से ये एक है. भारत के सात पवित्र स्थल इस प्रकार है –

haridwar tourist places
अयोध्या
मथुरा
वाराणसी
कांचीपुरम
द्वारका
उज्जैन
हरिद्वार

हरिद्वार के दार्शनिक स्थल की जानकारी Haridwar tourist places to visit in hindi

हरिद्वार उत्तराखंड की पहाड़ियों के बीच बसा सुंदर धार्मिक शहर है, जहाँ देश विदेश से लोग जाते है. यहाँ हर तरफ भजन कीर्तन, घंटे की आवाज सुनाइ देती है. हिन्दुओं के बड़े मुख्य तीर्थ केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री यमनोत्री, ऋषिकेश जाने का रास्ता भी यही से शुरू होकर जाता है. हरिद्वार को माता सती का घर भी कहा जाता है, इसे गंगाद्वार, मायापुरी नाम से भी जानते है.

हरिद्वार कैसे पहुंचे (How to reach haridwar) 

  • हवाईजहाज के द्वारा (by air) – हरिद्वार का निकटतम एअरपोर्ट देहरादून का जॉली ग्रांट एअरपोर्ट है. ये देहरादून से 22 किलोमीटर दूर है, एवं हरिद्वार से 41 किलोमीटर दूर है. इस एअरपोर्ट से हर बड़े शहर की डायरेक्ट फ्लाइट रोज नहीं रहती है. लेकिन दिल्ली से यहाँ फ्लाइट मिल जाती है. इस एअरपोर्ट से हरिद्वार जाने के लिए प्राइवेट टैक्सी, या रेगुलर बस मिल जाती है.
  • ट्रेन के द्वारा (by train) – हरिद्वार में रेलवे जंक्शन है, जिससे देश के हर कोने से ट्रेन की आवाजाही है. ट्रेन से आसानी से हरिद्वार पहुंचा जा सकता है.
  • रोड के द्वारा (by road) – देश के बड़े शहरों से यहाँ के लिए लक्ज़री बस चलती है. दिल्ली से यहाँ रेगुलर हर तरह की बस चलती है. दिल्ली से हरिद्वार 209 किलोमीटर है, जहाँ अपनी प्राइवेट गाडी के द्वारा भी जाया सकता है.

हरिद्वार जाने का सही समय (Haridwar best time to visit)

हरिद्वार जाने के लिए अपनी सुविधानुसार समय चुने. बरसात में कही भी जाना असुविधाजनक ही जाता है, बारिश की वजह से अच्छे से कहीं भी नहीं घूम पाते है. हरिद्वार भी बारिश में जाना थोडा मुसीबत वाला हो सकता है. एक तो बारिश में यहाँ पहाड़ी इलाका होने के कारण आये दिन पहाड़ गिरने, रोड बंद होने की खबर आती है. इसलिए यहाँ बारिश के बाद सितम्बर से जून तक जाया जा सकता है. यहाँ ठण्ड भी कड़ाके की पड़ती है, इसलिए अधिक ठण्ड पड़ने पर प्लान को थोडा आगे बढ़ा दें.

हरिद्वार में घुमने वाले स्थान (Haridwar India points of interest ) :

हरिद्वार मुख्यता धार्मिक स्थान है, यहाँ बहुत पुराने मान्यता वाले मंदिर है, जिसकी अलग अलग कहानी और लोगों की आस्था है. यहाँ बहुत सारे सुंदर सुंदर घाट भी है, जहाँ रोज गंगा जी की महाआरती होती है.

  1. हर की पौरी – हरिद्वार का ये मुख्य आकर्षण है, इसे ब्रह्मकुंड भी कहलाता है. माना जाता है है, विष्णु जी खुद आया करते है, उनके पद चिन्हों को आज भी देखा जा सकता है. यहाँ गंगा जी बड़ा घाट है, इस घाट के पहले गंगा जी पहाड़ियों से नीचे आती हुई ही दिखाई देती है, ये पहला मैदानी स्थान है, जहाँ गंगा जी आती है. कुम्भ मेला व अर्द्ध कुम्भ मेला के समय ये घाट की रौनक देखने लायक होती है, उस समय ये मुख्य घाट हुआ करता है. इस घाट में अस्थि विसर्जन, मुंडन का कार्य मुख्य रूप से किया जाता है.
  2. चंडी देवी मंदिर – यह मंदिर दुर्गा माता के रूप चंडी का है. नवरात्र व कुम्भ के समय में यहाँ भक्तों का जमावड़ा लगता है. भारत देश में मौजूद माता सती के 52 शक्तिपीठ में से ये एक है. मंदिर की मूर्ती को आदि शंकराचार्य ने बनवाया व स्थापित किया था, लेकिन मंदिर को बनवाया 1929 में कश्मीर के किसी शासक ने था. ये मंदिर नील पर्वत पर स्थित है, जो हरिद्वार से 4 किलोमीटर दूर है, यहाँ गाड़ी, टैक्सी या रोपवे के द्वारा जाया जा सकता है.
  3. शांति कुंज – देश में सभी जगह फैले गायत्री परिवार का ये मुख्य गढ़ है. इसे 1971 में बनाया गया था. यहाँ आश्रम भी है जहाँ कई तरह की शिक्षाएं दी जाती है.
  4. माया देवी मंदिर – ये भी 52 शक्तिपीठ में से एक है. इसका निर्माण 11 वी शताब्दी में हुआ था. देवी सती के इस मंदिर की बहुत अत्याधिक मान्यता है, कहते है देवी के शरीर का दिल व नाभि यहाँ गिरा था, जो कोई यहाँ कोई मन्नत मांगता है उसकी मुराद पूरी होती है.
  5. मनसा देवी मंदिर – यह मंदिर बिलवा पर्वत जो शिवालिक पहाड़ियों में आता है, वहां स्थित है. यह मंदिर हरिद्वार से 3 किलोमीटर दूर है. इस मंदिर में मान्यता मांग कर मंदिर के पास पेड़ में धागा बांधा जाता है, कहते है इससे हर प्राथना पूरी होती है. मान्यता पूरी होने के बाद धागा खोलने के लिए फिर इस मंदिर में जाना जरुरी माना जाता है. इस मंदिर में सिर्फ रोपवे के द्वारा ही जाया जा सकता है, जिसे आम भाषा में उड़नखडोला भी कहते है.
  6. वैष्णो देवी मंदिर – कश्मीर के कटरा में स्थित वैष्णो देवी का मंदिर जग जग में प्रसिध्य है. उसी मंदिर के जैसे इस मंदिर को बनाया गया है. यह मंदिर भी पहाड़ी में स्थित है, जहाँ जाने के लिए वैष्णो देवी जैसे कठिन चढाई व गुफाओं से होते हुए जाता पड़ता है.
  7. पावन धाम – यह मंदिर अपने अनोखी व अलग तरह की कलाकृति के लिए जाना जाता है. इस मंदिर में मूर्तियों को कांच व आईने से दिवार पर बनाया गया है. इस मंदिर को 1970 में स्वामी वेदांता जी महाराज के द्वारा बनाया गया था.
  8. विष्णु घाट – कहते हैं यहाँ स्वयं भवान विष्णु ने स्नान किया था. इस घाट की मान्यता है कि यहाँ नहाने से सारे पाप मिट जाते है. पुरे हरिद्वार में सबसे अधिक लोग इसी घाट में जाते है.
  9. भारत माता मंदिर – भारत देश का एकलौता ऐसा मंदिर जहाँ भारत माता को मूर्ती के रूप में पूजा जाता है. इस मंदिर का निर्माण 1983 में स्वामी सत्यमित्रानंद द्वारा किया गया था. मंदिर का उद्घाटन इंदिरा गाँधी ने किया था. मंदिर में 8 मंजिल है, हर एक मंजिल में अलग अलग देवी देवता, स्वतंत्रता संग्रामी की मूर्ती व फोटो है, साथ ही यहाँ भारत के इतिहास के बारे में कुछ अनजानी बातें भी पता चलती है. भारतीय इतिहास का यहाँ अच्छा संग्रहालय है.
  10. दूधाधारी बर्फानी मंदिर – यह मंदिर बर्फानी बाबा के द्वारा उनके आश्रम में बनाया गया था. इस मंदिर को सफ़ेद संगरमर से बनाया गया है, जहाँ सभी देवी देवताओं के मंदिर मौजूद है.
  11. चिल्ला अभयारण्य – हरिद्वार से 11 किलोमीटर दूर ये अभयारण्य पर्यटकों का मुख्य आकर्षण है. धार्मिक मंदिर से दूर ये प्रकति की सैर कराता है, जहाँ कई तरह जंगली जानवर देखने को मिलते है.
  12. सप्तऋषि आश्रम – यहाँ सात ऋषि बैठ कर एक साथ तप आराधना किया करते थे. इसे सप्तऋषि कुंड भी कहते है.
  13. पारद शिवलिंग – इस शिवलिंग 150 किलो का है. यहाँ महाशिवरात्रि में मेला लगता है, यहाँ रुद्राक्ष का पेड़ है, जिसे देखने मुख्य रूप से लोग यहाँ जाते है.

हरिद्वार में धार्मिक शांति के साथ प्रकति के कई रूप देखने को मिलेंगें. यहाँ लोग मन की शांति के लिए जाते है. विदेश से सेनानी यहाँ जाते है, और हिन्दू धर्म में लीन हो जाते है और उसे ही अपना लेते है.

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कैलाश मानसरोवर के दर्शनीय स्थल | Kailash Mansarovar tourist place in hindi

 

कैलाश मानसरोवर के दर्शनीय स्थल | Kailash Mansarovar tourist place in hindi

कैलाश मानसरोवर के दर्शनीय स्थल  Kailash Mansarovar tourist place in hindi 

सनातन धर्म में कैलाश का अपना महत्व रहा है. 22000 फीट ऊंचे इस पर्वत को कैलाश कहा जाता है, जिसका सम्बन्ध आदियोगी शिव से माना जाता है. ये पर्वत तिब्बत में त्रान्शिमाल्या का एक अंश है. काफी ऊंचे और ठन्डे स्थान पर ये तीर्थ स्थल होने की वजह से प्रति वर्ष यहाँ बहुत कम ही तीर्थ यात्री आ पाते हैं. इसके लिए यूपी सरकार ने हालही में एक बड़ा फैसला लिया है.

kailash mansarovar

(Kailash Mansarovar yatra)

मानसरोवर यात्रा मुख्यतः दो चीजों के लिए बहुत विख्यात है. प्रथमतः शिवस्थल कैलाश की परिक्रमा करना और दूसरा मानसरोवर झील में पवित्र स्नान करना. ऐसा माना जाता है कि इस सरोवर में स्नान करने से जन्म- जन्मान्तर के पाप कट जाते है और मुक्ति की प्राप्ति होती है. ये तीर्थ स्थल 18 से 70 वर्ष के बीच के लोगों के लिए हैं. 70 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गो को सरकार द्वारा यहाँ आने की अनुमति नहीं होती है. यहाँ पर कई एसी बसें जाती हैं. साल 2014 में ये यात्रा मई में शुरू हुयी थी और सितम्बर तक चली. इस तीर्थ यात्रा के लिए भक्तों को बहरत के एक्सटर्नल अफेयर्स मंत्रालय में अर्जी देनी होती है.

कैलाश मानसरोवर के दर्शनीय स्थल (Kailash Mansarovar tourist place in hindi)

कैलाश मानसरोवर के मुख्य दर्शन स्थल कैलाश प्रकृति से पूर्ण स्थल है. यहाँ के मुख्य दर्शन स्थल निम्नलिखित हैं.

  • गौरी कुंड : इस कुंड की चर्चा शिव पुराण में की गई है, तथा इस कुंड से भगवान् गणेश की कहानी भी संलग्न है. ऐसा माना जाता है कि माता पार्वती ने इसी जगह पर भगवान गणेश की मूर्ति में प्राण फूँका था. इन पौराणिक कहानियों से संलग्न होने की वजह से इस स्थान का अध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत ही गहरा महत्व है. यहाँ पर जाने वाले लोगों को इस कुंड के जल की सतह पर छोटा कैलाश के शिखर का प्रतिबिम्ब दिखाई देता है. ये दृश्य अत्यंत मनोरम होता है.
  • मानसरोवर झील : ये झील कई तरह के पौराणिक कथाओं में वर्णित है. प्रतिवर्ष कई श्रद्धालू केवल इसमें स्नान करने के लिए आते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस झील में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं के सारे पाप कट जाते हैं और मरणोपरांत उनकी आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है. ऐसा माना जाता है कि कई सनातन देवी देवता इस झील में स्नान करने आया करते थे. अतः ये झील सदैव दैवी शक्तियों और पवित्रताओं का केंद्र रहा है.
  • राक्षस तल : राक्षस तल 4115 मीटर ऊपर स्थित है. इस स्थान का सम्बन्ध लंकापति रावण से माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी जगह पर तप कर के लंकापति रावण ने भगवान् शिव को प्रसन्न किया था और शिव प्रकट हुए थे. इसके उपरान्त रावण ने भगवान् शिव को कैलाश छोड़ कर लंका चलने का आग्रह किया था. भगवन शिव इस शर्त पर रावण के लंका जाने के लिए राजी हुए थे कि रावण बीच में पड़े मार्ग में कहीं भी उसे धरती पर नहीं रखेंगे.
  • कैलाश परिक्रमा : यहाँ पर हिन्दू, जैन और बौद्ध तीनो धर्म के अनुयायी तीर्थ यात्रा के लिए आते हैं. हिन्दुओं में ये मान्यता हैं कि ये स्थल भगवान् शिव से सम्बंधित है वहीँ बौद्ध धर्मनुययियो के अनुसार ये जगह शक्ति का केंद्र है. जैनियों की मान्यता ये है कि कैलाश पर उनके धर्म के संस्थापक रहा करते थे. ये बड़ी दिलचस्प बात है कि धर्म कोई भी हो किन्तु तीनों के अनुयायी इस जगह की परिक्रमा लगाते हैं.

कैलाश पहुँचने का तरीका (Kailash Mansarovar how to reach)

कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए भारत सरकार द्वारा व्यवस्थाएं की जाती हैं. लोग या तो सरकारी ज़रिये से इस जगह की यात्रा कर सकते हैं अथवा ख़ुद से भी जा सकते हैं.

  • उत्तराँचल पुलिस और आईटीबीपी की तरफ से भारत सरकार द्वारा ज़ारी कुमाओं मंडल विकास निगम जैसी योजनाओं के साथ श्रद्धालुओं को इस स्थान का दर्शन कराया जाता है.
  • ये यात्रा भारत और चीन के बीच समझौते के तहत होता है, अतः इस तीर्थ यात्रा को हर तरह की कूटनैतिक सुरक्षा दी जाती है.
  • एक यात्रा का कुल खर्च 65000 रूपए का होता है, जिसमे से 20- 25000 रूपए कई राज्य सरकारों द्वारा सब्सिडी के तौर पर दी जाती है.

इसके लिए भारत सरकार प्रति वर्ष जनवरी के महीने में विज्ञापन जारी करती है. इसके लिए दिए जा रहे आवेदन के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगता है. दस्तावेजों में 2 पासपोर्ट साइज़ की तस्वीर और वैद्य पासपोर्ट की आवश्यकता होती है. आवेदन का अंतिम समय प्रति वर्ष 15 से 20 मार्च के दौरान होता है. सभी चुने गये श्रद्धालुओं को अप्रैल के अंतिम दिनों में टेलीग्राम द्वारा चयन की सुचना दी जाती है, और मई के तीसरे सप्ताह के अन्दर एक 5000 का डिमांड ड्राफ्ट भेजने की बात कही जाती है. ये खर्च कुल यात्रा खर्च के साथ जोड़  दिया जाता है. ये चार्ज रिफंडेबल नहीं होता है. अतः किसी कारण वश यदि आवेदक यात्रा में नहीं जाता है तो उन्हें 5000 रूपए वापस नहीं किये जायेंगे.

कैलाश मानसरोवर पहुँचने के लिए नेपाल और चीन के बॉर्डर के पास से भी जाया जा सकता है.

दिल्ली से कैलाश मानसरोवर पहुँचने का तरीका (How to reach Kailash Mansarovar from delhi)

दिल्ली से कैलाश मानसरोवर की दूरी लगभग आठ सौ किमी की है. देश के किसी भी कोने से दिल्ली के लिए कई ट्रेने और हवाई जहाज मौजूद हैं. अतः दिल्ली आकर यहाँ से बस ट्रेन अथवा हवाई जहाज से कैलाश मानसरोवर जाया जा सकता है.  

  • ट्रेन से : दिल्ली से कैलाश मानसरोवर ट्रेन की सहायता से 10 घंटों में पहुँचा जा सकता है. कैलाश मानसरोवर का सबसे क़रीबी रेलवे स्टेशन लौकहा बाज़ार है. ये स्थान बागडोगरा हवाईअड्डा से 116 किमी की दूरी पर स्थित है.
  • बस से : दिल्ली से कई सरकारी अथवा प्राइवेट बसें कैलाश मानसरोवर तक जाती हैं. श्रद्धालु किसी तरह की बस की सहयता से कैलाश मानसरोवर पहुँच सकता है.
  • हवाई जहाज से : बागडोगरा हवाईअड्डा कैलाश मानसरोवर का सबसे नजदीकी हवाईअड्डा है. यहाँ पर दिल्ली से कुछ फ्लाइट्स जाती हैं. कैलाश मानसरोवर बागडोगरा हवाईअड्डा से 202 किमी की दूरी पर स्थित है. हवाई अड्डे से टैक्सी अथवा अन्य गाड़ियों से मानसरोवर पहुँचा जा सकता है.

कैलाश मानसरोवर का मौसम (Kailash Mansarovar yatra season)

तिब्बत शुष्क और ठण्ड प्रदेश है. अतः यहाँ जाने वाले श्रद्धालुओं को हर तरह के मौसम के लिए तैयार रहना पड़ता है. जून, जुलाई से सितम्बर के महीने तक यहाँ का तापमान 15 से 20 डिग्री के मध्य रहता है. इन महीनों में दोपहर में हवाएं चलती हैं तथा सुबह और शाम के समय का तापमान 0 डिग्री अथवा उससे भी कम हो सकता है.

सरकार द्वारा लिया गया फैसला (Kailash Mansarovar yatra government decision)

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए श्रद्धालुओं को एक लाख रूपए देने का ऐलान किया है. मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने पहले ही भाषण में योगी आदित्यनाथ का जीवन परिचय ने ये ऐलान किया. पहले ये आंकड़ा 50,000 रूपए का था. योगी आदित्यानाथ ने सत्ता में आते ही इस आंकड़े को दोगुणा कर दिया. आम तौर पर एक यात्रा में 2.5 लाख रूपए का खर्च होता है. सरकार द्वारा 1 लाख रूपए मिलने पर श्रद्धालुओं को आर्थिक सहयोग होगा और अधिक से अधिक लोग इस पुण्य का लाभ उठा पायेंगे.        

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माउन्ट आबू और उसके दार्शनिक स्थल | Mount Abu Tourist visiting places in hindi

 

माउन्ट आबू और उसके दार्शनिक स्थल | Mount Abu Tourist visiting places in hindi

Mount Abu visiting places in hindi माउंट आबू राजस्थान के सिरोही जिले में पड़ने वाला एक बहुत ही ख़ूबसूरत हिल स्टेशन है. ये समुद्र तल से 1200 मी ऊपर स्थित है. ये बहुत ही ख़ूबसूरत जगह है, जहाँ पर देश विदेश से लोग पर्यटन ने लिए आते हैं. विश्व प्रसिद्ध दिलावर मंदिर यहीं पर स्थित है. इस हिल स्टेशन का सबसे ऊंचा शिखर गुरु शिखर है, जिसकी ऊंचाई समुद्र ताल से लगभग 1722 मीटर है. इस पर्वत शिखर पर कई तरह के झरने और बहुत हरा भरा जंगल देखने मिलता है. प्रकृति के सभी गुणों को ख़ुद में समाय ये जगह सभी प्रकृति- प्रेमियों को अपनी तरफ आकर्षित करती है.   

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माउन्ट आबू की लोकेशन (Mount Abu location)

पश्चिमी भारत के राजस्थान के सिरोही जिले में माउन्ट आबू पड़ता है. सन 2011 की जनगणना के अनुसार ये राजस्थान का तीसरा सबसे कम जनसंख्या वाला क्षेत्र है. माउन्ट आबू यहीं मौजूद की वजह से ये एक भ्रमण स्थल के रूप में जाना जाता है. यह क्षेत्र 5136 वर्ग किमी में फैला हुआ है. इसके पश्चिम में जालोर, उत्तर में पाली, पूर्व में उदैपुर और दक्षिण में बनास कंठ ज़िला है. ये समस्त क्षेत्र पत्थरों और जंगलों से भरे हुए हैं. माउंट आबू का ग्रेनाइट पुंजक इस जिले को दो भागों में विभक्त करता है. ये पुंजक जिले के उत्तर पूर्वी क्षेत्र से दक्षिणी पश्चिमी क्षेत्र की तरफ जाता है. इस ज़िले का दक्षिणी और दक्षिणी पूर्वी हिस्सा अरावली पर्वत श्रेणी और माउंट आबू के मध्य पड़ता है, जो पूरी तरह पहाड़ी इलाका है. यहाँ पर पश्चिमी बनास नदी और आबू रोड है. जिले का पश्चिमी और उत्तरी क्षेत्र अपेक्षाकृत शुष्क है.    

माउन्ट आबू से जुडी कुछ जानकारियाँ (Mount Abu details)

जानकारी के बिंदुजानकारी
राष्ट्रभारत
प्रदेशराजस्थान
ज़िलासिरोही
संभागसिरोही
मुख्यालयसिरोही
लोकसभा क्षेत्रजलोर
क्षेत्रफल5136 वर्ग किमी
जनसँख्या (2011)22, 943  
जन घनत्व  50 प्रति वर्ग किमी
भाषाहिंदी, राजस्थानी और मारवाड़ी
पिन कोड307 501

माउन्ट आबू का इतिहास (Mount Abu history)

माउन्ट आबू का प्राचीन नाम ‘अर्बुदांचल’ है. पुराणों में इस स्थान का ज़िक्र ‘अर्बुदारण्य’ के नाम से आता है, जिसका अर्थ है ‘अर्बुद का जंगल’. आबू इसी ‘अर्बुदारण्य’ शब्द से निकला हुआ नाम है. ऐसा माना जाता है कि गुरु वशिष्ठ ने अवकाश प्राप्त कर माउन्ट आबू के दक्षिणी क्षेत्र में अपना शेष जीवन व्यतीत किया. एक अन्य पौराणिक कहानी के अनुसार ऐसा माना जाता है कि अर्बुद नाम के एक सर्प ने इसी जगह पर भगवान् शिव के नंदी बैल के पराओं की रक्षा की थी. इस घटना के बाद इस स्थान को अर्बुदारान्य कहा जाने लगा. सन 1311 ई में देओराचौहान वंश के राजा राव लुम्बा ने इस स्थान पर विजय प्राप्त की, जिसकी राजधानी उसने चन्द्रावती नामक एक मैदानी क्षेत्र में स्थापित की. सन 1405 में चन्द्रावती को हटाकर राव सश्मल ने सिरोही में अपना मुख्यालय बनाया. कालांतर में ब्रिटिश सरकार ने इस जगह को इस्तेमाल करने के लिए सिरोही के महाराजा से पट्टे (lease) पर लिया. 

माउंट आबू के दार्शनिक स्थल की सूची (List of Mount Abu visiting places in hindi)

माउंट आबू एक प्राकृतिक जगह है. इसके प्राकृतिक सौंदर्य के अलावा भी यहाँ पर अन्य कई जगहें पर्यटन योग्य हैं. सभी जगहों के संक्षिप्त वर्णन नीचे दिए जा रहे है

  • दिलवारा मंदिर : ये मंदिर माउंट आबू से 2.5 किलोमीटर की दूरी पर है. इसका निर्माण ग्यारहवीं से तेरहवीं शताब्दी के बीच हुआ था. इस मंदिर की मुख्य विशेषता मंदिर में संगमरमर पर की गयी कारीगरी है. ये संसार के कई सुन्दर तीर्थ स्थलों में एक है. इस मंदिर में पांच अन्य मंदिर हैं, जिनका जैन धर्म अनुयायियों में बहुत अधिक महत्व है. इन मंदिरों में क्रमशः विमल वासाही जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ, लूना वासाही जैन धर्मं के बाइसवें तीर्थंकर नेमिनाथ, पिथाल्हर ऋषि पार्श्वनाथ और दो मंदिर भगवान् महावीर और ऋषि रिषभ के हैं.
  • नक्की लेन : नक्की लेन माउंट आबू के महत्त्वपूर्ण आकर्षणों में एक है. ये एक धार्मिक और प्राचीन झील है. हिन्दू मिथकों के अनुसार इस झील को देवताओं ने बश्काली नामक एक राक्षस से अपनी जान बचाने के लिए नाख़ून से खोदा था. इसके अलावा कई अन्य मिथाक्ल भी काफ़ी प्रचलित हैं. ये स्थान पिकनिक के लिए एक उत्तम स्थान है. ये झील इसलिए भी काफ़ी विख्यात है क्योंकि महात्मा गाँधी की अस्थियाँ इस झील में विसर्जित की गयीं थीं, जिसकी वजह से यहाँ गाँधी घात का निर्माण हुआ.   
  • गौ मुख मंदिर : ये मंदिर भी एक प्राचीन तीर्थस्थल है. ऐसा माना जाता है कि गुरु वशिष्ठ ने इस जगह पर एक यज्ञ किया था, जिसके फलस्वरूप चार बड़े राजपूत कुलों की उत्पत्ति हुई. यहाँ पर एक और स्थान है जिसे अग्नि कुंड के नाम से जाना जाता है. मान्यता के अनुसार गुरु वशिष्ठ ने इसी कुंड में यज्ञ करके उन चार राजपूत कुलों की उत्पत्ति की.
  • वाइल्ड लाइफ सैनचुअरी : ये अरावली पर्वत श्रेणी के मध्य स्थित है. सन 1980 में इसे वाइल्ड लाइफ सैनचुअरी का दर्जा दिया गया. ये लगभग 288 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इस स्थान पर विभिन्न तरह के वनस्पति देखने मिलते हैं. इस सैनच्युअरी में जंगली बिल्ली, भालू, भेदिया, हायना, भारतीय लोमड़ी आदि पाए जाते हैं. इसके अलावा लगभग 250 विभिन्न तरह की पक्षियाँ पायी जाती है.
  • आबू रोड : ये स्थान बनास नदी के पास स्थित है. ये मुख्यतः एक रेलवे स्टेशन है किन्तु इसके आस- पास का सौंदर्य देखते ही बनता है. यहाँ पर मौसम सुहावना रहता है. यहाँ से कई मुख्य मंदिरों का रास्ता मिलता है.
  • अचलगढ़ : ये मूलतः एक किले और एक प्राचीन राज्य का नाम है. ये किला परमार वंश के राजा द्वारा निर्मित था. सन 1452 में मेवाड़ के राजा महाराजा कुम्भा ने इसका पुनर्निर्माण कराया और इसका नाम अचलगढ़ दिया. ये किला चारो तरफ ख़ूबसूरत नजारों से घिरा हुआ है. इस किले का मुख्य आकर्षण यहाँ पर स्थित भगवन शिव ‘अचलेश्वर महादेव’ मंदिर है. माउन्ट आबू आने वालों के लिए ये एक आकर्षण का केंद्र है.
  • गुरु शिखर : गुरु शिखर माउंट आबू का सर्वोच्च स्थान है. यहाँ पर गुरु दत्तात्रेय का मंदिर है. इस मंदिर में त्रिदेव ब्रम्हा, विष्णु और महेश विराजमान हैं. यहाँ से चारों तरफ का प्राकृतिक दृश्य अत्यंत मनोरम लगता है.
  • ट्रेवोर टैंक : इए जगह को ‘क्रोकोडाइल पार्क’ के नाम से जाना जाता है. ये माउन्ट आबू से 5 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है. ये एक मुख्य पिकनिक स्पॉट है. इस जगह पर कई मगरमच्छ पत्थरों पर आराम करते हुए दिखाई देते हैं. इसके अतिरिक्त यहाँ पर काला भालू भी देखने मिलता है.
  • शेरे पंजाब : शेरे पंजाब यहाँ का बहुविख्यत रेस्टोरेंट है. यहाँ पर पर्यटक ठहर कर यहाँ के स्पेशल व्यंजनों का आनंद उठा सकते हैं. ये जगह काफ़ी साफ़ – सुथरी और आराम दायक है.

माउन्ट आबू का मौसम (Mount Abu best season for visiting)

माउन्ट आबू का मौसम महीनों के आधार पर नीचे दिया जा रहा है

  • मार्च से जून : यह समय माउंट आबू में ग्रीष्म ऋतु का समय होता है. राजस्थान में स्थित होने की वजह से यहाँ के समस्त पर्यटन स्थल पर तापमान 32 डिग्री सेल्सिअस से 35 डिग्री सल्सिएस तक होता है. इस समय यहाँ ग्रीष्म ऋतु मुख्यतः अप्रैल से मध्य जून के बीच में होती है.
  • जुलाई से सितम्बर : इस समय यहाँ मानसून का समय होता है. मानसून की शुरुआत यहाँ मुख्यतः जून के अंतिम दिनों से ही शुरू हो जाती है. इस समय यहाँ पर गर्मी से कुछ राहत होती है. मानसून के दौरान यहाँ पर जोर की बारिश होने की सम्भावना सदैव बनी रहती है. आसमान में सदैव बादल छाये हुए रहते हैं.
  • अक्टूबर से फरवरी : माउंट आबू में ये समय शीत ऋतु का होता है. इस दौरान यहाँ पर खूब ठण्ड पड़ती है. दिसम्बर से जनवरी के बीच यहाँ का तामपान 8 डिग्री सल्सियस तक गिर जाता हैं, और कडाके की ठण्ड पड़ती है.

माउंट आबू पहुँचने का तरीक़ा (How to reach Mount Abu)

  • एयर द्वारा : माउन्ट आबू हवाई जहाज की सहायता से जाया जा सकता है. माउन्ट आबू का सबसे क़रीबी हवाई अड्डा है डबोक. डबोक उदयपुर में स्थित है जहाँ से माउंट आबू की दूरी 185 किलोमीटर की है. यहाँ के लिए जेट ऐर्वार्य्स, इंडियन एयरलाइन्स, स्पाइस जेट, इंडिगो आदि फ्लाइट्स मिल जाते हैं.
  • बस द्वारा : माउंट आबू राजस्थान में स्थित है. यहाँ पर देश के कई बड़े शहरों से कई लम्बी सड़के पहुँचती हैं. दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड आदि जगहों से माउंट आबू बस स्टॉपेज के लिए कई बसें खुलती हैं.
  • ट्रेन द्वारा : माउंट आबू का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन आबू रोड है. बैंगलोर, दिल्ली, हैदराबाद, पुणे, अहमदाबाद, अजमेर, बांद्रा, बरेली, भुज, बीकानेर, दादर, चेन्नई, देहरादून, जोधपुर, मुजफ्फरपुर, मैसूर आदि कई जगहों से ट्रेन आबू रोड रेलवे स्टेशन तक आती है. आबू रोड से माउंट आबू की दूरी लगभग 40 किलोमीटर की है जिसे लगभग एक घंटे में तय किया जा सकता है.

माउंट आबू की संस्कृति (Mount Abu culture)

पर्वतों के दरमियान स्थित होने की वजह से यहाँ पर कुछ पहाड़ी संस्कृति की झलकियाँ हैं, तो धार्मिक स्थलों की बहुल्यता की वजह से ये स्थान आध्यात्मिक भी हो जाता है. यहाँ पर ग्रीष्म त्यौहार “समर फेस्टिवल” मनाया जाता है. यहाँ के लोकनृत्यों में बलाड, घूमर, धाप आदि मशहूर हैं, जो ख़ुद में राजस्थानी संस्कृति समाय हुए है.

इस तरह माउंट आबू पर्यटकों के लिए एक अति आकर्षण का केंद्र है.

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दिल्ली के दर्शनीय स्थल की सूची| Delhi Visiting Places List For Tourist In Hindi

 

दिल्ली के दर्शनीय स्थल की सूची| Delhi Visiting Places List For Tourist In Hindi


दिल्ली के दर्शनीय स्थल की सूची Delhi Visiting Places List For Tourist In Hindi

हमारे देश भारत की राजनैतिक राजधानी हैं –दिल्ली और इसीलिए यह प्रसिद्ध हैं. परन्तु ऐसा नहीं हैं कि इसके प्रसिद्ध होने की केवल यही एक वजह हैं. दिल्ली से भारत का इतिहास जुड़ा हैं. प्राचीन राजाओं, बादशाहों के शासन की अनेक कहानियाँ इस दिल्ली से जुड़ी हैं और अगर वर्तमान की बात करें, तो आप चाहे जिस ओर देख ले, कुछ न कुछ आपको जरुर ऐसा मिलेगा जो दिल्ली से जुड़ा होगा. जिसे देखकर आप अचंभित हो जाएँगी और आपकी नज़रें उस ओर ठहर जाएगी. चाहे वो दिल्ली के राजनैतिक गलियारें हो या व्यवसायिक ख़बरें, दिल्ली की कड़कड़ाती सर्दी हो या यहाँ पर मिलने वाले स्वादिष्ट पकवान. आपको यहाँ पर घूमने फिरने की भी इतनी जगहें मिलेंगी कि आप सोच भी नहीं सकते और इनमें भी सबसे अच्छी बात यह हैं कि यहाँ आपको घूमने के लिए विकल्प भी उपलब्ध हैं अर्थात् आपकी जिन स्थानों को देखने में रूचि हो, जैसे -: आप धार्मिक स्थल घूमना चाहते हैं या प्राचीन इमारतें देखने का शौक रखते हैं, खानपान के शौक़ीन हैं या किसी राजनेता को देखना चाहते हैं; आपके मन – मुताबिक आप यहाँ घूम – फिर सकते हैं और फिर इसीलिए तो कहा जाता हैं इसे -: दिल वालों की… दिल्ली.

Delhi Visiting Places

दिल्ली के दर्शनीय स्थल की सूची Delhi Visiting Places List For Tourist In Hindi

दिल्ली में घुमने के लिए बहुत सारी जगहें हैं. दिल्ली में आप कहाँ – कहाँ घूम सकते हैं, उन दर्शनीय स्थलों की सूचि और उनका संक्षिप्त विवरण नीचे दिया जा रहा हैं -:

संसद भवन [Parliament of India] -:

चूँकि दिल्ली हमारे देश की राजधानी हैं, तो यहाँ का प्रथम आकर्षण हैं – देश का संसद भवन. यह एक वृत्ताकार [Circular] इमारत हैं. इसका डिज़ाइन ब्रिटिश आर्कीटेक्ट सर एडविन लुटयेंस और सर हर्बर्ट बेकर द्वारा सन 1912 – 1913 में बनाया गया था. इसका निर्माण सन 1921 से 1927 तक चला और फिर इसे काउंसिल ऑफ़ स्टेट, सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेम्ब्ली और चैम्बर ऑफ़ प्रिंस के रूप में उपयोग किया जाने लगा.

राष्ट्रपति भवन [RashtrapatiBhavan of India] -:

हमारे देश के राष्ट्रपति का निवास स्थान होता हैं – राष्ट्रपति भवन. इसका निर्माण वास्तव में ब्रिटिश काल में गवर्नर जनरल ऑफ़ इंडिया के लिए किया गया था. यह इमारत मुग़ल और भारतीय कला का मिला जुला रूप हैं. साथ ही यहाँ का आकर्षण हैं, सुन्दर फूलों से भरा हुआ बगीचा और विभिन्न और दुर्लभ प्रजातियों के फूल.

कनोट प्लेस [Connaught Place] -:

यह अपनी संरचना के तरीके के लिए प्रसिद्ध हैं. यह देश – विदेश से आने वाले बिज़नेस मेन और टूरिस्टों दोनों ही के लिए मुख्य स्थान हैं.

टूरिस्टों के लिए यहाँ के दर्शनीय स्थानों में से गिनीज़ बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में दर्ज ‘हनुमान मंदिर’ हैं, इसके साथ ही 18वीं सदी की एस्ट्रोनॉमिकल शाला हैं ‘जंतर – मंतर एवं महाराज अग्रसेन की बावली आदि कई स्थान हैं.

वहीँ बिज़नेस के लिए भी यह महत्वपूर्ण हैं, जिसके लिए इसे 2 भागों में बांटा गया हैं और इनके नाम हैं -: इनर और आउटर कनोट प्लेस. जनपथ एक ओपन एयर शौपिंग कॉम्प्लेक्स के रूप में हैं, जो इनर और आउटर कनोट प्लेस को जोड़ता हैं. साथ ही यहाँ ‘पालिका बाज़ार’ भी स्थित हैं. यहाँ आप 3 स्टार, 4 स्टार और 5 स्टार होटल देख सकते हैं.

लोधी गार्डन [Lodhi Garden] -:

सन 1930 में बने इस खूबसुरत बगीचे का नाम लेडी विल्लिंगडन पार्क भी हैं. यह 15वीं और 16वीं सदी की इमारत हैं, जो अपने – आप में खूबसूरत मैदान, फूलों, छायादार वृक्षों और छोटे तालाबों से घिरी होने के कारण एक विहंगम दृश्य दिखाती हैं. एकांत प्रिय और फिटनेस के लिए जागरूक लोगों को यहाँ सुबह और शाम के समय बहुत आनंद आता हैं.

पुराना किला [Old Fort] -:

यह मुग़लकालीन सैन्य संरक्षण की रचनाओं में एक बेहतरीन नमूना हैं. इसका निर्माण महाभारत काल में पांडवों द्वारा किया गया था, जिसका मुग़ल बादशाह हुमायूँ ने पुनः उद्धार करवाया और फिर बाद में शेर शाह सूरी द्वारा इसमें बदलाव किये गये. यह मजबूती से खड़ी एक अनोखी इमारत हैं, जो बाद की मुग़लकालीन इमारतों से भिन्नता रखती हैं, जिसे अपनी सुन्दर सजावट के लिए नहीं, अपितु मजबूती के लिए जाना जाता हैं. कैसे टुटा पांडवों का अहंकार? इस कहानी को यहाँ पढ़ें|

हुमायूँ का मक़बरा [Tomb of Humayun] -:

इसे यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साईट में सम्मिलित किया गया हैं. इसका निर्माण हुमायूँ की मौत के बाद उसकी सबसे बड़ी पत्नि ‘बेगा बेगम’ ने करवाया था. यह भारत में पहला ऐसा मक़बरा हैं, जो एक बाग़ के रूप में बनाया गया हैं. यह मक़बरा बगीचे के बीचों बीच स्थित हैं. बाद में मुग़ल सल्तनत के कई शासकों को इसी मक़बरे के पास दफनाया गया था.

चांदनी चौक [ChandaniChowk] -:

दिल्ली के मुख्य बाज़ारों में से एक हैं – चांदनी चौक, जिसका निर्माण ताजमहल के निर्माता और मुग़ल बादशाह शाह जहाँ ने करवाया था. ताजमहल के इतिहास को यहाँ पढ़ें| इसे बनाने के पीछे उसका उद्देश्य यह था कि उसकी बेटी अपनी जरुरत और पसंद की हर चीज इस बाज़ार से खरीद सकें. चांदनी चौक एशिया का सबसे बड़ा थोक बाज़ार [Wholesale Market] हैं. साथ ही यह उत्तर मध्य दिल्ली के सबसे पुराने और सबसे व्यस्त बाज़ारों में से भी एक हैं.

क़ुतुब मीनार [Qutub Minar]-:

दक्षिणी दिल्ली के महरौली में कुतब कॉम्प्लेक्स में स्थित हैं क़ुतुब मीनार, जिसका निर्माण ‘क़ुतुब-उद-दीन ऐबक’ ने कराया था, जिसने सन 1206 में दिल्ली पर कब्ज़ा प्राप्त किया था. यह मीनार लाल पत्थरों से बनी हैं, जिसकी ऊंचाई 72.5 मीटर हैं. क़ुतुब-उद-दीन ऐबक दिल्ली पर मुस्लिम हुकुमत हासिल करने के कारण इसे ‘विजय स्तम्भ [Victory Tower]’ के रूप में बनाना चाहता था. परन्तु उसके द्वारा इस इमारत का केवल पहला माला [1st story] ही बनाया गया, अन्य माले उसके उत्तराधिकारी ‘इल्तुतमिश’ द्वारा और बाद में सफ़ेद संगमरमर [Marble] के अन्य दो माले सन 1368 में ‘फेरोजशाह तुग़लक’ द्वारा बनाये गये. इसके अलावा क़ुतुब मिनार का महत्व इसलिए भी हैं क्योंकि यह भारतीय संस्कृति का इतिहास बताती हैं. यह भारतीय – इस्लामिक कला को दर्शाती हुई एक बेहतरीन इमारत हैं और इस निर्माण कला का एक उत्कृष्ट नमूना हैं.

अक्षरधाम मंदिर [Akshardham Temple] -:

यह विश्व के सबसे बड़े मंदिरों में से एक हैं और लगभग 100 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ हैं. इसका निर्माण अभी हाल ही में सन 2005 में हुआ हैं. मंदिर प्रांगण में ही उच्च तकनीकी के साथ प्रदर्शनी [Exhibition], एक IMAX थिएटर, म्यूजिकल फाउंटेन और फ़ूड कोर्ट की व्यवस्था की गयी हैं.

लक्ष्मिनारायण मंदिर [Laxminarayan Temple] -:

इस मंदिर का निर्माण माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की भक्ति में सन 1933 – 1939 तक बी.आर. बिरला द्वारा करवाया गया था और उस समय इसका उद्घाटन [Inauguration] महात्मा गाँधी द्वारा किया गया था. महात्मा गांधी पर निबंध यहाँ पढ़ें| यह लगभग 7.5 एकड़ में फैला हुआ हैं, यहाँ सुन्दर बगीचा, आदि भी हैं. यहाँ होली और जन्माष्टमी के समय श्रद्धालुओं की बहुत भीड़ रहती हैं. कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि यहाँ पढ़ें|

कैथेड्रल चर्च ऑफ़ रिडेम्पशन [Cathedral Church of Redemption] -:

इसका दूसरा नाम वाइसराय चर्च भी हैं. यह संसद भवन और राष्ट्रपति भवन के पूर्व में स्थित हैं. इसका निर्माण कार्य सन 1935 में करीब 8 सालों में पूर्ण हुआ. इसका निर्माण इस तकनीक से किया गया हैं कि यह तपती गर्मियों में भी ठंडा रहता हैं. यहाँ प्रतिदिन हजारों लोग इसे देखने आते हैं.

इस्कोन मंदिर [Iskcon Temple] -:

दिल्ली के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित यह राधा कृष्ण का मंदिर बड़ा ही सुन्दर हैं, जिसका निर्माण अंतर्राष्ट्रीय आर्किटेक्ट अच्युत कानविंदे द्वारा सन 1991 – 1998 के बीच पूर्ण किया गया, जिसमे लाल पत्थरों का इस्तेमाल किया गया हैं. यहाँ एक शो चलता हैं, जिसमे श्रीमद भागवत गीता का अर्थ समझाया जाता हैं. श्रीमद भगवत गीता के अनमोल वचन यहाँ पढ़ें| इस मंदिर का दूसरा आकर्षण बिंदु हैं भगवान श्री कृष्ण की सुन्दर पेंटिंग्स, जो उनके विदेशी भक्तों द्वारा बनाई गयी हैं. इसके अलावा जो लोग वेद पुराण पढने समझने के इच्छुक हैं, उनके लिए भी भक्ति योग के इन्तेजाम किये गये हैं, साथ ही यहाँ के ‘गोविंददास’ रेस्टोरेंट में शुद्ध शाकाहारी भोजन की भी व्यवस्था हैं. यहाँ तक बसों और ट्रेन के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता हैं.

जामा मस्जिद [Jama Masjid] 

मस्जिद–ए-जहां-नुमा को साधारणतः जामा मस्जिद के नाम से जाना जाता हैं. यह पुरानी दिल्ली की मुख्य मस्जिदों में से एक हैं. इसे मुग़ल बादशाह शाहजहां ने सन 1656 में बनवाया था. यह भारत को सबसे बड़ी और बेहतरीन मस्जिदों में शामिल की जाती हैं. इसमें एक बार में लगभग 25000 लोग एक साथ इबादत कर सकते हैं.

लोटस टेम्पल [Lotus Temple]-:

लोटस टेम्पल बहुत ही सुन्दर कलाकृतियों का नमूना हैं. यह दिल्ली के दक्षिणी भाग में स्थित हैं और एक सफ़ेद कमल के फूल के समान दिखता हैं.

नेशनल म्यूजियम [National Museum]-:

यह भारत के सबसे विशाल संग्रहालयों में से एक हैं. यहाँ विभिन्न प्रकार की प्राचीन धरोहरें देखने के लिए संग्रहित की गयी हैं. इसके रखरखाव आदि को सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा वहन किया जाता हैं. यह जनपथ और मौलाना आज़ाद रोड के पास ही स्थित हैं.

जंतर मंतर [JantarMantar] -:

महाराज जय सिंह द्वितीय द्वारा दिल्ली में जंतर मंतर का निर्माण कराया गया था. यहाँ 13 आर्किटेक्चरल एस्ट्रोनॉमी इंस्ट्रूमेंट्स रखे गये हैं.

राज घाट [Raj Ghat] -:

पुरानी दिल्ली में यमुना नदी के किनारे स्थित हैं राज घाट. यह हमारे देश के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का समाधी स्थल हैं. यहाँ लगभग सभी जानी मानी हस्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई हैं. इसके पास ही महात्मा गाँधी के जीवन की यादों को समेटे हुए दो संग्रहालय [Museum] भी बनाये गये हैं.

शांति वन [Shanti Van] -:

यह राज घाट के पास स्थित हैं और इसके नाम के स्वरुप ही यहाँ शांति का अनुभव किया जा सकता हैं. यह वही स्थान हैं, जहाँ हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरु का दाह संस्कार किया गया था. यह स्थान एक सुन्दर बगीचे के रूप में बदल चुका हैं, जिसे यहाँ नेहरूजी को श्रद्धांजलि अर्पित करने आयी हस्तियों ने पौधे बोकर तैयार किया हैं. प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरु के बारे में यहाँ पढ़ें|

इंडिया गेट [India Gate] -:

यह दिल्ली की सबसे खुबसूरत निर्माण कार्यों में से एक हैं. इसका निर्माण उन 90,000 शहीदों की याद में और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए किया गया था, जिन्होंने अफ़ग़ान युद्ध और प्रथम विश्व युद्ध के समय अपने प्राणों की बलि दे दी थी. इसका निर्माण सन 1931 में किया गया था.

लाल किला [Red Fort] -:

भारत में मुग़लों के शासन के प्रतिक के रूप में लाल किले का निर्माण करवाया गया था, जो कि सन 1638 में कराया गया. इस इमारत को मुग़ल शैली में बनाया गया हैं. इसके निर्माण का उद्देश्य हमलों के समय आत्मरक्षा की व्यवस्था करने के लिए किया गया था और इसके लिए किले की दीवारों की ऊँचाई 33 मीटर की रखी गयी थी. यहाँ साउंड और लाइट शो दिखाए जाते हैं, जो करीब एक घंटे का होता हैं और इनमें उन प्राचीन घटनाओं को दर्शाया जाता हैं, जो लाल किले से संबंध रखती हैं. पर्यटकों [टूरिस्टों] के लिए यह सोमवार [monday] को बंद रहता हैं. इसे यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साईट में भी शामिल किया गया हैं. लाल किले के इतिहास के बारे में विस्तार से यहाँ पढ़ें|

इस प्रकार दिल्ली में अनेक स्थान हैं, जिन्हें देखना अपने आप में अलग ही अनुभूति हैं. ऐसे ही कुछ अन्य स्थानों की सूचि नीचे दी जा रही हैं -:

प्राचीन किले –

दर्शनीय स्थल का नामविशेषताअन्य जानकारी
तुग़लकाबाद किलातुग़लक़ों के शासन काल में निर्मित किला.अब इसका नाम स्वतंत्रता सेनानी स्मारक’ रख दिया हैं और अब ये लाल किले का ही हिस्सा हैं. यहाँ बहादुर शाह ज़फर द्वारा निर्मित बहादुर शाही गेट देखने लायक जगह हैं.

प्राचीन मकबरे –

नामविशेषताअन्य जानकारी
सफदरजंग का मक़बरालोधी गार्डन में स्थित सन 1518 में बना मक़बरा.लोधी वंश के अंतिम शासक का मक़बरा

बाग़ – बगीचे [Gardens]

नामविशेषताअन्य जानकारी
गार्डन ऑफ़ फाइव सेंसेसदिल्ली की सबसे खुबसूरत जगहों में से एक.आधुनिक सुविधाओं से निर्मित विलेज और झील में उपस्थित बत्तख और हंस और दौड़ भाग करते हिरनों  को देखने का आनंद. यहाँ फिल्म ‘रॉक स्टार’ के कुछ सीन फिल्माये गये थे.

धार्मिक स्थल [Religious Places]

नामविशेषता
निज़ाम्मुदीन दरगाहभारत के पावन स्थानों में शामिल
सरोवरसफ़ेद संगमरमर से बना सिख धार्मिक स्थल, यहाँ बना ‘सरोवर’ इसे पूरे साल ठंडा बनाये रखता हैं.
दिगंबर जैन लाल मंदिरश्री दिगंबर जैन लाल मंदिर दिल्ली का सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध जैन मंदिर हैं, जो सन 1658 में बना था. अपनी सुन्दर कलाकृति और लाल पत्थरों से बने होने के कारण यह नाम दिया गया हैं.
भारत के प्राचीनतम चर्चों में से एक हैं. 
दिल्ली के दक्षिणी भाग में स्थित प्रसिद्ध मंदिर. 

बावली [Baoli]

नामविशेषता
अग्रसेन की बावली, निज़ाम्मुदीन की बावलीप्राचीन समय में जल संरक्षण हेतु किया गया निर्माण कार्य.

बाज़ार [Markets]

नामविशेषता
पहाड़गंजलेदर बैग, फूट वियर और सस्ती और खुबसूरत चीजों के लिए प्रसिद्ध.
महँगी परन्तु अच्छी शॉपिंग के लिए प्रसिद्ध. 
एथनिक वियर और स्ट्रीट फ़ूड के लिए प्रसिद्ध. 
भारतीय संस्कृति के डांस, म्यूजिक परफॉरमेंस और कपड़ो के लिए प्रसिद्ध. 

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