अमरनाथ यात्रा की जानकारी | Amarnath Yatra Information In Hindi
Amarnath Yatra Information In Hindi भारत मे अजूबो की कोइ कमी नहीं है यहा आज भी कई ऐसे रहस्य है जिनका आज तक कोई खुलासा नहीं हुआ जिनके होने का कारण आज तक कोई नहीं जान पाया । इन्ही मे से एक है अमरनाथ का शिवलिंग जिसकी जानकारी आपको Amarnath Yatra Details In Hindi मे दी गई है। कश्मीर से करीब 135 मीटर की दूरी पर यह तीर्थ स्थल स्तिथ है अमरनाथ मे उपस्थित गुफा की लंबाई 19 मीटर, चौड़ाई 16 मीटर तथा उचाई 11 मीटर है।
अमरनाथ भगवान शिव के प्रमुख स्थानो मे से एक है । यहा की प्रमुख बात यह है की यहा पर उपस्थित शिवलीग स्वयं निर्मित होता है । स्वयं निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते है । इस शिवलिंग के दर्शन आषाढ़ पुर्णिमा से लेकर रक्षा बंधन तक प्राप्त होते है। कहा जाता है की चंद्रमा के घटने बढ्ने के साथ साथ इस शिवलिंग का आकार भी घटता बढ़ता है । इस शिवलिंग की खास बात यह है की यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है जबकि जिस गुफा मे यह शिवलिंग स्तिथ व्हा उपस्थित अन्य बर्फ हिमकण के रूप मे होती है। जिस प्रकार भगवान शिव का शिवलिंग है ठीक उसी प्रकार उसी गुफा मे कुछ दूरी पर भगवान गणेश, पार्वती जी तथा भैरव बाबा के भी ठोस लिंग बनते है।
अमरनाथ गुफा मे शिव जी ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था तथा इसी कथा को सुनकर शुक शिशु संघोजात शुकदेव ऋषि के रूप मे अमर हो गए थे| जब शिव जी यह कथा पार्वती माता को सुना रहे थे ठीक उसी समय उस गुफा मे एक कबूतर का जोड़ा भी मौजूद था इस कथा को सुनने के कारण वह कबूतर का जोड़ा भी अमर हो गया । आज भी कुछ भाग्यवान श्रधालुओ को इस कबूतर के जोड़े के दर्शन होते है तथा मान्यता तो यह भी है की जिस किसी को भी इस कबूतर के जोड़े के दर्शन होते है, उसे शिव पार्वती स्वयं अपने दर्शन प्रदान करके कृतार्थ करते है ।
इसी गुफा मे शिव जी ने माता पार्वती को कथा मे अमरनाथ यात्रा मे आने वाले समस्त स्थलो का वर्णन किया था यही कथा वर्तमान मे अमर कथा नाम से प्रचलित है । कहा जाता है कि जब भगवान शिव माता पार्वती को कथा सुनने लेजा रहे थे तो उन्होने छोटे छोटे नागो को अनंत नाग मे, कपाल के चन्दन को चंदनबाड़ी मे, पिस्सुओ को पिस्सू टॉप पर तथा शेषनाग को शेषनाग पर छोड़ा । यह स्थल आज भी अमरनाथ यात्रा के दौरान मार्ग मे आते है ।
इस गुफा को सबसे पहले एक मुस्लिम गड़रिये ने देखा था आज भी अमरनाथ से प्राप्त चढ़ावे का एक भाग उस मुस्लिम गड़रिये के परिवार को दिया जाता है । इस अमरनाथ गुफा के रास्ते मे यदि अमरावती नदी के तट पर आगे बड़ा जाए तो और भी कई गुफाये दिखती है परन्तु वे सभी गुफाये बर्फ से ढकी हुई है ।
अमरनाथ गुफा की ऊंचाई | 3888 मीटर |
श्रीनगर से दूरी | 141 किलोमीटर |
गुफा की लम्बाई, चौड़ाई, ऊंचाई | 19 मीटर, 16 मीटर, 11 मीटर |
पहलगांव के बाद यात्रा का समय | 5 दिन |
पैदल चलाई | 16 किलोमीटर |
अमरनाथ यात्रा की जानकारी Amarnath Yatra Information In Hindi
अमरनाथ यात्रा की शुरवात :
अमरनाथ यात्रा करने वालो के लिए दो विकल्प मौजूद है पहला रास्ता पहलगाम से जाता है और दूसरा सोनमर्ग बलटाल से । पहलगाम का रास्ता बलटाल की अपेक्षा सरल है इसलिए सरकार भी दर्शनार्थियों को इसी रास्ते से जाने का सुझाव देती है । क्योकि बलटाल से जानेवाला रास्ता बहुत कठिन है यहा से जाने वालो को कई परेशानीया उठानी पड़ती है तथा इस रास्ते मे जोखिम भी बहुत है इसलिए सरकार इस रास्ते से जाने वालो की जिम्मेदरी सरकार नहीं लेती ।
पहलगाम से अमरनाथ यात्रा :
पहलगाम जम्मू से 315 किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ है । जम्मू तक यात्री बस ट्रेन या रोड किसी भी रास्ते से पहुच सकते है तथा जम्मू से पहलगाम तक के लिए सरकारी पर्यटन की बसे उपलब्ध रहती है । पहलगाम ही वह जगह है जहा से यात्री अपनी पैदल यात्रा की शुरवात करते है अमरनाथ यात्रा मे अन्य तीर्थ स्थानो की तरह पैदल चलने वालो के लिए घोड़े, पालकी की सुविधा नही होती परंतु फिर भी वृद्ध लोगो के लिए साधन मौजूद है । पहलगाम से यात्रा शुरू करने पर आठ किलोमीटर की दूरी पर पहला पड़ाव चंदनबाड़ी आता है यही वह जगह है जहा यात्री अपनी पहली रात गुजारते है रात रुकने के लिए यहा कैंप लगाए जाते है ।
चंदनबाड़ी पर विश्राम के बाद यात्री दूसरे दिन पिस्सू घाटी की चड़ाई शुरू करते है वैसे तो प्रथम चरण की यह चड़ाई ज्यादा कठिन नहीं थी परंतु पिस्सू घाटी पर दूसरा पड़ाव शुरू करते ही जोखिम भरा रास्ता भी शुरू हो जाता है । कहा जाता है की यही पिस्सूघाटी पर देवता और राक्षसो के बीच यूध्द हुआ था जिसमे राक्षसो की हार हुई थी । इसी पिस्सू घाटी से होते हुये यात्री 14 किलोमीटर चलने पर शेषनाग पर पहुचते है । यही शेषनाग पर नीले पानी की खूबसूरत झील है इस झील मे देखने पर यात्रियो को बादल होने का भ्रम होता है इसकी लंबाई करीब 1.5 किलोमीटर है । कहते है की आज भी इस झील मे शेषनाग रहता है तथा 24 घंटे मे एक बार यह नाग बाहर आता है तथा खुशनसीबों को इसके दर्शन प्राप्त होते है । यही वह पड़ाव है जहा यात्री अपनि अगली रात्रि बिताते है ।
तीसरे दिन की यात्रा यही से शुरू होती है करीब 8 मिल चलने के बाद पंचतरणी आता है इसी रास्ते मे बैववैल टॉप तथा महागुणास दर्रे को पार करना पड़ता है । महागुणास पर पाहुचने के बाद सारा रास्ता उतराई का है यहा पर 5 जलधाराए बहती है इसी कारण इसका नाम पंचतरणी पड़ा । यहा का मौसम अपेक्षाकृत ज्यादा ठंडा होता है तथा यहा पर यात्रियो को ऑक्सीजन की कमी महसूस होती है।
यहा से अमरनाथ की गुफा केवल 8 किलोमीटर रह जाती है परंतु यहा से आगे के सारे रास्ते मे बर्फ जमी रहती है यहा से यात्रा शुरू करने पर यात्री अगले दिन अमरनाथ गुफा पहुच जाता है यात्री यहा चाहे तो रात्री विश्राम करके अगले दिन नहा कर शिवलिंग के दर्शन कर सकता है । वैसे तो यह यात्रा बहुत कठिन है परन्तु शिवजी के दर्शन होते ही सारी थकान मीट जाती है । तथा दर्शन के बाद यात्री वापसी के लिए अपनी यात्रा शुरू कर देते है वापसी मे पहले दिन ही यात्री शेषनाग तक का सफर कर सकते है । इसी प्रकार यात्री अपनी यात्रा आसानी के पूरी कर पाते है|
इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको इस यात्रा कि समस्त जानकारी देने का प्रयास किया है| अगर आप कोई और जानकारी चाहते है तो कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछ सकते है| अगर आप Hindi कहानी पढने के शौकीन है तो Hindi Story पर क्लिक करे |
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